आज हम प्रोटीन पाउडर के बारे में बात बात करने वाले हैं। प्रोटीन पाउडर कब लेना चाहिए? प्रोटीन पाउडर मोटापा बढ़ाता है या कम करता है? प्रोटीन पाउडर लेना चाहिए तो दूध के साथ लेना चाहिए या पानी के साथ? प्रोटीन पाउडर में मिलावट होती है या नहीं? इसके साइड इफेक्ट होते हैं या नहीं? इन सभी प्रश्नों को हम हमारे आर्टिकल में विस्तार से बताएंगे।
कैसे बनता है प्रोटीन पाउडर?
प्रोटीन पाउडर का उत्पादन दूध से होता है। दूध को मशीनों द्वारा दो हिस्सों में बांट दिया जाता है। पहले ही से से पनीर मलाई जैसे पदार्थ बनाए जाते हैं। इसके बाद बचे हुए पानी से प्रोटीन बनाया जाता है।अब आपके मन में होगा कि यदि उस पानी से ही प्रोटीन बना दिया जाता है तो उस पानी का ही सेवन क्यों नहीं किया जाता।
दरअसल, दूध के बचे हुए इस पानी में 90 प्रतिशत मात्रा वह पानी की ही होती है और उसमें 10 प्रतिशत ही प्रोटीन होता है। इसलिए एक चम्मच प्रोटीन के लिए आपको 2 लीटर दूध का बचा हुआ पानी पीना पड़ेगा। तो इस तरह प्रोटीन तैयार होता है।
प्रोटीन पाउडर के प्रकार
आपको पता होना चाहिए कि फैक्ट्री से तीन तरह का प्रोटीन पाउडर बनकर तैयार होता है।
व्हे प्रोटीन कंसंट्रेट
यह प्रोटीन सबसे सस्ता प्रोटीन होता है। यह प्रोटीन आपके फैट को बढ़ाने के लिए भी काम में आता है और इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी अधिक होती है।
व्हे प्रोटीन आइसोलेट
इस प्रोटीन के प्रकार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा थोड़ी कम और प्रोटीन की मात्रा थोड़ी अधिक मात्रा में पाई जाती है। इसलिए यह प्रोटीन पहले वाले प्रोटीन पाउडर से थोड़ा ज्यादा महंगा होता है।इसका प्रयोग किसी आम जिम करने वाले व्यक्ति के लिए बिल्कुल सही रहता है।
व्हे प्रोटीन हाइड्रोलाइज्ड
यह प्रोटीन बिल्कुल शुद्ध प्रोटीन होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें से फैट और कार्बोहाइड्रेट दोनों पूरी तरह निकाल दिए जाते हैं। यह एडवांस ट्रेनिंग करने वाले और किसी टॉप टूर्नामेंट की तैयारी करने वाले और अधिक ट्रेनिंग करने वाले लोगों के लिए ठीक होता है और आम व्यक्ति को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
मालटोडिक्सटिन
यह एक केमिकल पदार्थ होता है जो चीनी से भी खतरनाक होता है और हमारे ह्रदय और पेट के लिए बहुत खतरनाक होता है और बहुत सी बीमारियां फैला सकता है। कंपनियां अधिक मुनाफे के लिए इसका प्रयोग करती हैं और इसकी मिलावट प्रोटीन पाउडर में की जाती है।
साइड इफेक्ट
हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि प्रोटीन पाउडर का उत्पादन दूध से होता है। इसलिए इसकी गुणवत्ता जानवर की सेहत, जानवर को खिलाया जाने वाला, चारा और उसके दूध पर ही निर्भर करती है। यदि प्रोटीन पाउडर शुद्ध है और उसमें मिलावट नहीं है तो एक सेहतमंद व्यक्ति के लिए इसका प्रयोग बिल्कुल सही होता है। लेकिन कई बार कब्ज की समस्या देखने को मिलती है इसलिए प्रोटीन पाउडर लेते समय थोड़ी सब्जियां भी उसमें शामिल करनी चाहिए।
प्रोटीन का प्रयोग करने वाले व्यक्तियों में पिंपल्स की समस्या देखने को मिलती है। यदि आपको भी पिंपल्स की समस्या है तो आपको मास गेनर नाम का प्रोटीन बिल्कुल भी नहीं ना चाहिए, यह आपकी इस समस्या को kgf1 नामक रसायन से और अधिक बढ़ा देता है।
किडनी समस्या
यदि आपकी किडनी सेहतमंद नहीं है तो यह नाइट्रोजन एसिड को पूरी तरह शुद्ध नहीं कर पाएगी और उसका निकास नहीं कर पाएगी। इसलिए प्रोटीन पाउडर एक अच्छे सेहतमंद व्यक्ति के लिए ही सही होता है।आपको बता बता प्रोटीन का प्रयोग नहीं करना चाहिए जब तक आपकी किडनी सही नहीं हो जाती।
यूट्यूब पर सर्च करें
आप एक बार यूट्यूब पर जिस भी कंपनी का प्रोटीन पाउडर खरीदें उसका लैब टेस्ट अवश्य ही सर्च कर लें। इसके अलावा इनग्रेडिएंट्स लिस्ट भी एक बार उस डब्बे पर अवश्य ही चेक करें और उसमें केमिकल की परख भी कर लें। ज्यादा सस्ते के चक्कर में गलत प्रोटीन की खरीद बिल्कुल ना करें।
आशा है आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा होगा। यदि आपको यह आर्टिकल अच्छा लगे तो अपने दोस्तों के साथ अवश्य ही शेयर करें।
कैसे बनता है प्रोटीन पाउडर?
प्रोटीन पाउडर का उत्पादन दूध से होता है। दूध को मशीनों द्वारा दो हिस्सों में बांट दिया जाता है। पहले ही से से पनीर मलाई जैसे पदार्थ बनाए जाते हैं। इसके बाद बचे हुए पानी से प्रोटीन बनाया जाता है।अब आपके मन में होगा कि यदि उस पानी से ही प्रोटीन बना दिया जाता है तो उस पानी का ही सेवन क्यों नहीं किया जाता।
दरअसल, दूध के बचे हुए इस पानी में 90 प्रतिशत मात्रा वह पानी की ही होती है और उसमें 10 प्रतिशत ही प्रोटीन होता है। इसलिए एक चम्मच प्रोटीन के लिए आपको 2 लीटर दूध का बचा हुआ पानी पीना पड़ेगा। तो इस तरह प्रोटीन तैयार होता है।
प्रोटीन पाउडर के प्रकार
आपको पता होना चाहिए कि फैक्ट्री से तीन तरह का प्रोटीन पाउडर बनकर तैयार होता है।
व्हे प्रोटीन कंसंट्रेट
यह प्रोटीन सबसे सस्ता प्रोटीन होता है। यह प्रोटीन आपके फैट को बढ़ाने के लिए भी काम में आता है और इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी अधिक होती है।
व्हे प्रोटीन आइसोलेट
इस प्रोटीन के प्रकार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा थोड़ी कम और प्रोटीन की मात्रा थोड़ी अधिक मात्रा में पाई जाती है। इसलिए यह प्रोटीन पहले वाले प्रोटीन पाउडर से थोड़ा ज्यादा महंगा होता है।इसका प्रयोग किसी आम जिम करने वाले व्यक्ति के लिए बिल्कुल सही रहता है।
व्हे प्रोटीन हाइड्रोलाइज्ड
यह प्रोटीन बिल्कुल शुद्ध प्रोटीन होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें से फैट और कार्बोहाइड्रेट दोनों पूरी तरह निकाल दिए जाते हैं। यह एडवांस ट्रेनिंग करने वाले और किसी टॉप टूर्नामेंट की तैयारी करने वाले और अधिक ट्रेनिंग करने वाले लोगों के लिए ठीक होता है और आम व्यक्ति को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
मालटोडिक्सटिन
यह एक केमिकल पदार्थ होता है जो चीनी से भी खतरनाक होता है और हमारे ह्रदय और पेट के लिए बहुत खतरनाक होता है और बहुत सी बीमारियां फैला सकता है। कंपनियां अधिक मुनाफे के लिए इसका प्रयोग करती हैं और इसकी मिलावट प्रोटीन पाउडर में की जाती है।
साइड इफेक्ट
हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि प्रोटीन पाउडर का उत्पादन दूध से होता है। इसलिए इसकी गुणवत्ता जानवर की सेहत, जानवर को खिलाया जाने वाला, चारा और उसके दूध पर ही निर्भर करती है। यदि प्रोटीन पाउडर शुद्ध है और उसमें मिलावट नहीं है तो एक सेहतमंद व्यक्ति के लिए इसका प्रयोग बिल्कुल सही होता है। लेकिन कई बार कब्ज की समस्या देखने को मिलती है इसलिए प्रोटीन पाउडर लेते समय थोड़ी सब्जियां भी उसमें शामिल करनी चाहिए।
प्रोटीन का प्रयोग करने वाले व्यक्तियों में पिंपल्स की समस्या देखने को मिलती है। यदि आपको भी पिंपल्स की समस्या है तो आपको मास गेनर नाम का प्रोटीन बिल्कुल भी नहीं ना चाहिए, यह आपकी इस समस्या को kgf1 नामक रसायन से और अधिक बढ़ा देता है।
किडनी समस्या
यदि आपकी किडनी सेहतमंद नहीं है तो यह नाइट्रोजन एसिड को पूरी तरह शुद्ध नहीं कर पाएगी और उसका निकास नहीं कर पाएगी। इसलिए प्रोटीन पाउडर एक अच्छे सेहतमंद व्यक्ति के लिए ही सही होता है।आपको बता बता प्रोटीन का प्रयोग नहीं करना चाहिए जब तक आपकी किडनी सही नहीं हो जाती।
यूट्यूब पर सर्च करें
आप एक बार यूट्यूब पर जिस भी कंपनी का प्रोटीन पाउडर खरीदें उसका लैब टेस्ट अवश्य ही सर्च कर लें। इसके अलावा इनग्रेडिएंट्स लिस्ट भी एक बार उस डब्बे पर अवश्य ही चेक करें और उसमें केमिकल की परख भी कर लें। ज्यादा सस्ते के चक्कर में गलत प्रोटीन की खरीद बिल्कुल ना करें।
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